आइये दोस्तों इस लेख में बात करते हैं नालन्दा में घूमने की जगह (Nalanda Me Ghumne Ki Jagah) के बारे में। भारत के बिहार प्रान्त में स्थित नालन्दा अध्यात्म और शिक्षा का केंद्र बिंदु रहा है। यहाँ जैन धर्म और बौद्ध धर्म से सम्बंधित कई विश्व प्रसिद्ध स्थल हैं जो अपना धार्मिक महत्त्व रखते हैं। इन स्थलों पर साल में लाखों लोग घूमने आते हैं। इसके अलावा नालन्दा में स्थित नालन्दा भी प्राचीन काल में शिक्षा का केंद्र रहा है।
नालन्दा के बारे में (About Nalanda)
भारतीय इतिहास में नालन्दा का महत्व शिक्षा जगत में सर्वोपरि है। यहाँ स्थित नालन्दा विश्वविद्यालय
अपने समय में दुनिया में शिक्षा का केंद्र हुआ करता था। जहाँ हज़ारों की संख्या में छात्र आयुर्वेद, गणित और अध्यात्म की शिक्षा लेने के लिए पूरी दुनिया से आया करते थे। लेकिन इस प्रसिद्ध विश्वविद्यालय को 12 वीं सदी में कुतुबुद्द्दीन ऐबक के सेनापति बख्तियार खिलज़ी ने नष्ट कर दिया जिसकी वजह से इसके खंडहर मात्र बचे हैं। इसके आलावा नालन्दा में भगवान महावीर स्वामी की महापरिनिर्वाण स्थली पावापुरी, शांति स्तूप और थाई मंदिर प्रमुख पर्यटक आकर्षण हैं। माना जाता है कि नालन्दा में कई बार भगवान गौतम बुद्ध और भगवान महावीर का आगमन हुआ जिस कारण से भी यह स्थान लोकप्रिय हो जाता है। यहाँ पर बौद्ध साशकों सम्राट अशोक, हर्षवर्धन और गुप्त वंश के राजाओं ने कई विकाश कार्य करवाए थे। वर्तमान में नालन्दा में घूमने (Nalanda Me Ghumne Ki Jagah) की कई जगह हैं जिनके बारे में विस्तार से बताया गया है।
नालन्दा में घूमने की जगह | Nalanda Me Ghumne Ki Jagah)
- प्राचीन नालन्दा विश्वविद्यालय परिसर
- आधुनिक नालन्दा विश्वविद्यालय परिसर
- पावापुरी
- राजगीर
- शांति स्तूप
प्राचीन नालन्दा विश्वविद्यालय परिसर
![Nalanda Vishwvidyalaya Nalanda Me Ghumne Ki Jagah Hai](https://ghoomteraho.in/wp-content/uploads/2024/06/Nalanda-Vishwvidyalaya.jpg)
प्राचीन कल में अध्यात्म और शिक्षा का केंद्र रहा नालन्दा विश्वविद्यालय दुनिया का पहला आवासीय विश्वविद्यालय था जहाँ 10000 से अधिक विद्यार्थियों और 1500 से अधिक शिक्षकों के रहने की व्यवस्था थी। इस विश्वविद्यालय की स्थापना गुप्त वंश के शासक कुमार गुप्त द्वारा की गयी थी। महान गणितज्ञ आर्यभट्ट इसी विश्वविद्यालय के अध्यापक थे जिन्होंने शून्य की खोज की थी। यहाँ पूरी दुनिया से छात्र चिकित्सा, तर्कशास्त्र, विज्ञान, खगोलशास्त्र, गणित, आयुर्वेद,और अध्यात्म की शिक्षा लेने के लिए आते थे। प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग ने इसी विश्वविद्यालय में बौद्ध धर्म की शिक्षा ली थी। इस विश्वविद्यालय में शिक्षा का माध्यम संस्कृत और पाली भाषा था। साथ ही यहाँ पाठ्यक्रम के अलावा व्यावहारिक जीवन का भी अध्ययन कराया जाता था। यहाँ के भवन, मठ, स्तूप और पुस्तकालय की वास्तुकला अद्वितीय थी जिनका निर्माण ईंटों और पत्थरों से की गयी थी। जो गुप्तकाल की कला और विज्ञानं की उन्नति को दर्शाता है। इस विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में लाखों किताबों का संग्रह था। जो विभिन्न विषयों पर आधारित थीं। इस प्रसिद्ध विश्वविद्यालय पर समय-समय पर हमले होते रहे हैं लेकिन 12वीं सदी में तुर्क आक्रमणकारी बख्तियार खिलज़ी ने जो आक्रमण किया उससे इस विश्वविद्यालय को भरी क्षति हुई। जिसके प्रभाव से यह विश्वविद्यालय धीरे-धीरे नष्ट हो गया। और अब यह विश्वविद्यालय एक प्राचीन खँडहर के रूप पहचाना जाता है। विश्वविद्यालय का खँडहर रूप आज भी अपना प्रभाव और महत्व दर्शाता है। जिसे देखने के लिए साल में लाखों लोग नालन्दा जाते हैं। प्राचीन नालन्दा विश्वविद्यालय को यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया है। विश्वविद्यालय के अवशेष विद्वानों और इतिहास प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। नालन्दा विश्वविद्यालय का योगदान आज भी भारतीय शिक्षा प्रणाली के लिए सराहनीय और प्रेरणादायक है। जो यह सन्देश देता है की ज्ञान और शिक्षा का कभी भी अंत नहीं हो सकता है।
आधुनिक नालन्दा विश्वविद्यालय
![Nalanda University is the best place to visit in Nalanda](https://ghoomteraho.in/wp-content/uploads/2024/06/Nalanda-University-1024x576.png)
वर्तमान सरकार नालन्दा विश्वविद्यालय को पूर्ववर्ती की तरह ज्ञान और शिक्षा का केंद्र बनाने का प्रयास कर रही है। जिसके लिए इस विश्वविद्यालय का पुनर्निर्माण 2010 में शुरू किया गया और 2024 में यह विश्वविद्यालय बनकर तैयार हो गया। इस नए विश्वविद्यालय का उद्घाटन 19 जून 2024 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया। यह विश्वविद्यालय आने वाले समय में वैश्विक शिक्षा और अनुसन्धान के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए तैयार है। इसका उद्देश्य छात्रों को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा देकर उन्हें वैश्विक नागरिक बनाना है ताकि वे नवाचार और ज्ञान के क्षेत्र में समाज की सेवा कर सकें। इस आधुनिक नालन्दा विश्वविद्यालय में अत्याधुनिक सुविधायें पुस्तकालय, शोध केंद्र, प्रयोगशालाएं, और आवासीय सुविधाएं छात्रों और शिक्षकों के लिए एक उत्कृष्ट शैक्षिक वातावरण प्रदान किया गया है। साथ ही इस विश्वविद्यालय का वातावरण हरा-भरा और पर्यावरण के अनुकूल है। वर्त्तमान में यह विश्वविद्यालय अनेक विषयो में स्नातक, परास्नातक और शोध कार्यक्रम प्रदान करता है। इन संकायों में प्राचीन और आधुनिक इतिहास का अध्ययन, पर्यावरण और पारिस्थितिकी अध्ययन, बौद्ध धर्म और विभिन्न धर्मों के तुलनात्मक अध्ययन, श्विक राजनीति, शांति और संघर्ष समाधान पर शोध का अध्ययन प्रमुख हैं। इस विश्वविद्यालय में शिक्षण और अनुसन्धान का माध्यम उच्चतम रखा गया है। यहाँ का शिक्षण स्टाफ अपने क्षेत्र के विद्वानों और विशेषज्ञों मिलकर बना है। जो इस विश्वविद्यालय को अपने प्राचीन पूर्ववर्ती की प्रतिष्ठा और महत्ता को पुनर्जीवित करने में मदद करेगा। नालन्दा विश्वविद्यालय का नया परिसर पर्यटन की दृष्टि से भी बहुत सुंदर है। भविष्य में नालन्दा विश्वविद्यालय बिहार का प्रमुख पर्यटक आकर्षण बन सकता है।
पावापुरी
![Pawapuri is spiritual place in Nalanda](https://ghoomteraho.in/wp-content/uploads/2024/06/Pawapuri.jpg)
बिहार प्रान्त के नालन्दा जिले में स्थित पावापुरी जैन धर्म का पवित्र तीर्थ स्थल है यह भूमि जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी का निर्वाण स्थल है। पावापुरी नालन्दा में घूमने की जगह (Nalanda Me Ghumne Ki Jagah) में प्रमुख जगह है। जो अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहरों के लिए विश्व विख्यात है। यह स्थान जैन धर्म का महत्वपूर्ण तीर्थस्थल बन चूका है। जहाँ साल में लाखों जैन धर्म के अनुयायी जाते हैं। पावापुरी में कई प्रसिद्ध मंदिर हैं जिनमें जल मंदिर जो एक जलाशय के मध्य में स्थित है भगवन महावीर को समर्पित है। इसके अलावा जैन धर्म के 5वें तीर्थंकर सुमतिनाथ को समर्पित सुमतिनाथ मंदिर अपनी वास्तुकला प्रसिद्ध है और भगवान् महावीर के निर्वाण की स्मृति में बना नवसमीर मंदिर प्रमुख हैं। पावापुरी में हर साल कार्तिक पूर्णिमा को आयोजित होने वाला मेला अपनी सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित करता है। यहाँ की यात्रा भगवान् महावीर की स्मृतियों से परिचित कराती है जो जैन धर्म के अनुयायियों के लिए जीवन पर्यन्त अनुभव होती है।
राजगीर
![Rajgir Nalanda Me Ghumne Ki Jagah Hai](https://ghoomteraho.in/wp-content/uploads/2024/06/Rajgir-1024x579.jpg)
नालन्दा जिले में स्थित राजगीर एक ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्व वाला नगर है। जो अब नालन्दा में घूमने की जगह (Nalanda Me Ghumne Ki Jagah) में प्रमुख जगह है। राजगीर का पुराना नाम राजगृह था जो मगध साम्राज्य की राजधानी थी। साथ ही राजगीर बुद्ध धर्म और जैन धर्म का केंद्र था। अपने जीवन कल के दौरान राजगृह में भगवान महावीर स्वामी और भगवान बुद्ध ने कई उपदेश दिए। राजगृह में ही प्रथम बौद्ध संगीति का आयोजन हुआ था। राजगृह में स्थित ग्रिधकूट पर्वत पर भगवान बुद्ध ने कई उपदेश दिए इसीलिए यह पर्वत बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए बहुत पवित्र है। यहीं पर जैन धर्म के 20वें तीर्थंकर मुनिसुव्रत स्वामी का भी जन्म हुआ था इसके अलावा भगवान महावीर ने भी यहाँ कई उपदेश दिए थे। इसीलिए राजगृह जैन धर्म के अनुयायियों के लिए भी एक पवित्र तीर्थ स्थल है। राजगृह में स्थित विपुलगिरि पर्वत, सप्तऋषि गुफायें, वैमिकर्मण विहार, जल मंदिर और वशिष्ठ हॉट स्प्रिंग्स यहाँ के प्रमुख पर्यटक आकर्षण हैं। इसके अलावा राजगृह में कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन होता है। जो यहाँ के सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हैं।
शांति स्तूप
![](https://ghoomteraho.in/wp-content/uploads/2024/06/Shanti-Stupa.jpg)
नालन्दा के राजगीर में स्थित शांति स्तूप नालन्दा का प्रमुख पर्यटक आकर्षण है जिसकी ऊंचाई 70 फ़ीट है। यहाँ बुद्ध की चार प्रतिमाएं चारों दिशाओं में रखीं हैं साथ ही बुद्ध के अवशेष भी स्थापित किये गए है। इस बुद्ध विहार के अंदर एक जापानी शैली में बना हुआ मंदिर है जो भगवान बुद्ध को समर्पित है। इस शांति स्तूप को विश्व शांति स्तूप के नाम से भी जाना जाता है। विश्व शांति स्तूप नालन्दा में घूमने की जगह (Nalanda Me Ghumne Ki Jagah) में एक खास जगह है। जो बौद्ध धर्म का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल भी है।