आइये दोस्तों इस पोस्ट में बात करेंगे उज्जैन में घूमने की जगह (Ujjain Me Ghumne Ki Jagah) के बारे में। उज्जैन हिंदू धर्म का एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है।
जहां बहुत सारे छोटे-बड़े प्राचीन मंदिर बने हुए हैं। यहाँ पर्यटकों के घूमने के लिए बहुत सारी जगह हैं।
उज्जैन के बारे में
उज्जैन शिप्रा नदी के किनारे स्थित एक खूबसूरत शहर है। जो अपने प्राचीन एवं पवित्र मंदिरों के लिए विख्यात है।
यहाँ भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकाल ज्योतिर्लिंग स्थित है।
इसीलिए उज्जैन को महाकाल का शहर भी कहा जाता है। उज्जैन उन चार स्थानों में से एक है।
जहां कुंभ मेले का आयोजन होता है। उज्जैन में शिप्रा नदी के किनारे प्रति 12 वर्ष बाद सिंहस्थ कुम्भ मेला लगता है।
उज्जैन को मध्य प्रदेश राज्य का मंदिरों का शहर कहा जाता है।
यहाँ उज्जैन में अगर पर्यटन की बात करी जाए तो उज्जैन में घूमने की जगह (Ujjain Me Ghumne Ki Jagah) बहुत सारी है।
जिसमें कुछ प्रमुख जगहों के बारे में नीचे बताया गया है।
उज्जैन में घूमने की जगह | Ujjain Me Ghumne Ki Jagah
- महाकालेश्वर मंदिर
- कालभैरव मंदिर
- चिंतामन गणेश मंदिर
- हरसिद्धि माता शक्तिपीठ मंदिर
- मंगलानाथ मंदिर
- जय माँ गढ़कालिका मंदिर
- गोपाल मंदिर
- बड़ा गणपति मंदिर
- महर्षि संदीपनि आश्रम
- भर्तहरि गुफा
- उज्जैन का जंतर-मंतर
महाकालेश्वर मंदिर
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार इस मंदिर की नींव भगवान ब्रह्मा द्वारा रखी गई थी।
यह मंदिर पूर्ण रूप से भगवान शिव को समर्पित है। महाकालेश्वर शिव मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
इस मंदिर में प्रतिदिन सुबह भस्म-आरती होती है जो कि इस मंदिर का प्रमुख का आकर्षण है।
इसके अंतर्गत पहले शिवलिंग को स्नान कराया जाता है।
तत्पश्चात दही, शहद और चंदन का लेप लगाया जाता है और फिर इस लेप को दूध और पानी से साफ किया जाता है।
अंत में शिवलिंग को भस्म और श्रृंगार से सजाया जाता है।
अगर आप इस भस्म आरती में शामिल होना चाहते हैं तो आपको मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन करना होगा।
महाकालेश्वर मंदिर में प्रतिवर्ष डेढ़ करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु जाते हैं।
यहाँ सावन और शिवरात्रि के अवसर पर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है।
महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन में घूमने की जगह में एक प्रमुख जगह (Ujjain Me Ghumne Ki Jagah) है।
श्री कालभैरव मंदिर
यह मंदिर उज्जैन के प्राचीन मंदिरों में से एक माना जाता है।
जो हिंदू धर्म के तांत्रिक समुदाय के लोगों का प्रमुख पूजा स्थल है।
जो यहाँ पर पूजा करने आते हैं। इस मंदिर में भगवान शिव के उसके उग्र रूप काल भैरव की प्रतिमा स्थापित है।
मंदिर की प्रतिमा के मुख में ना कोई छिद्र है फिर भी प्रतिमा मदिरापान करती है।
पुजारी भगवान के मुख से मदिरा का पात्र लगाते हैं और देखते ही देखते पात्र खाली होने लगता है।
इसीलिए श्रद्धालु यहाँ पर मदिरा चढ़ाते हैं मंदिर के बाहर दुकानों से आप भगवान को भेंट देने के लिए फूल, नारियल, धूप और मदिरा खरीदकर गर्भ गृह के पुजारी को देते हैं और पुजारी आधी मदिरा भगवान को चढ़ा देते हैं और आधी वापस श्रद्धालुओं को दे देते हैं।
यदि आप उज्जैन जाएँ तो श्री काल भैरव मंदिर अवश्य जाएँ।
चिंतामन गणेश मंदिर
ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण भगवान राम ने किया था।
यह मंदिर भगवान शिव के पुत्र भगवान गणेश को समर्पित है।
यहाँ भगवान गणेश चिंतामन, इच्छामन और सिद्धिविनायक तीन रूपों में विराजमान है।
यह मंदिर महाकालेश्वर मंदिर से महज 6 किलोमीटर की दूरी पर ही स्थित है।
यहाँ एक बावड़ी भी है जिसे भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण ने बनवाया था।
इसीलिए इसका नाम लक्ष्मण बावड़ी है।
यह मंदिर बहुत ही खूबसूरत है जो की उज्जैन में घूमने की एक प्रमुख जगह है।
मंगलनाथ मंदिर
भगवान शिव के मंगला रूप को समर्पित यह मंदिर उज्जैन के खूबसूरत मंदिरों में से एक है।
मंगलवार के दिन यहाँ श्रद्धालुओं की कतारें लगी रहती हैं। इस स्थान को मंगल ग्रह का जन्म स्थान माना जाता है।
इस मंदिर में पूजा करने से आपको नकारात्मक ऊर्जा से छुटकारा मिलेगा।
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान कृष्ण के गुरु संदीपनि को जब गंगा स्नान की चेष्टा हुई तो उन्होंने इसी स्थान पर अपने तपोबल से माँ गंगा को प्रकट किया था।
मंगलनाथ मंदिर उज्जैन में घूमने की जगह (Ujjain Me Ghumne Ki Jagah) में एक प्रमुख एवं सुंदर जगह है।
हरसिद्धि माता शक्तिपीठ
इस स्थान पर सती के शरीर का एक अंग कोहनी गिरी थी। इसीलिए यह मंदिर हिंदू धर्म के 51 से शक्तिपीठों में से एक है।
रुद्र सागर झील के किनारे स्थित इस मंदिर में माता लक्ष्मी और माता सरस्वती के बीच में माता अन्नपूर्णा की मूर्ति स्थित है।
चण्ड और मण्ड नामक दो राक्षसों का वध करने के लिए माता पार्वती ने हरसिद्धि का रूप धारण किया था।
और इस स्थान पर उनका वध किया था। इसीलिए इस मंदिर का नाम हरसिद्धि मंदिर है।
जय माँ गढ़कालिका मंदिर
इस मंदिर में देवी कालिका की एक सुंदर मूर्ति स्थापित की गई है। जो मंदिर का मुख्य आकर्षण है।
यह मंदिर छात्रों के लिए बहुत ही लोकप्रिय है। इस मंदिर की स्थापना महाभारत काल में मानी जाती है।
जबकि जो मूर्तियां हैं, उन्हें सतयुग कालीन माना जाता है।
महाकवि कालिदास यहीं पर पूजा अर्चना किया करते थे। यहाँ नवरात्रि में विशेष महोत्सवों का आयोजन भी होता है।
गोपाल मंदिर
मराठा वास्तुकला शैली में बना हुआ यह मंदिर जिसका निर्माण महारानी बयाजी बाई शिंदे ने 19वीं सदी में करवाया था।
इस मंदिर का गर्भ ग्रह संगमरमर से निर्मित है जबकि दरवाजा को चांदी से मड़वाया गया है।
यह महाकालेश्वर मंदिर के बाद उज्जैन का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर है।
इस मंदिर में भगवान कृष्ण की 2 फीट ऊंची सोने की मूर्ति स्थापित की गई है। जो इस मंदिर का मुख्य आकर्षण है।
मंदिर का प्रांगण काफी विशाल है, जिसमें जन्माष्टमी और हरिहर पर्व को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।
हरिहर पर्व भगवान कृष्ण और भगवान शिव के मिलन के उपलक्ष में मनाया जाता है।
यहाँ भगवान कृष्ण के अलावा माता पार्वती और भगवान शिव की मूर्तियां भी स्थापित की गई है।
बड़ा गणपति मंदिर
इस मंदिर में भगवान गणेश की विशाल का प्रतिमा स्थापित की गई है। इसीलिए इसका नाम बड़ा गणपति मंदिर है। इस प्रतिमा की ऊंचाई लगभग 4 मीटर से भी ज्यादा है।
और इसके भीतरी कक्ष में भगवान विष्णु की पीतल की मूर्ति रखी हुई है।
बड़ा गणपति मंदिर उज्जैन में घूमने (Ujjain Me Ghumne Ki Jagah) की एक प्रमुख जगह है।
इस मंदिर की स्थापना प्रसिद्ध ज्योतिषी पंडित नारायण जी व्यास द्वारा की गई थी।
जो महर्षि संदीपनि के ही वंशज माने जाते हैं। यह मंदिर महाकालेश्वर मंदिर के पास ही स्थित है।
साथ ही यह मंदिर ज्योतिष और संस्कृति की शिक्षा का केंद्र भी है।
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महर्षि संदीपनि आश्रम
संदीपनि आश्रम उज्जैन का एक खूबसूरत स्थान है। जहां गुरु संदीपनी ने बलराम, सुदामा और श्री कृष्ण को प्रशिक्षित किया था।
महाभारत काल में यह आश्रम शिक्षा का प्रमुख केंद्र हुआ करता था।
इस आश्रम में एक शिला पर गुरु संदीप ने अपनी शिक्षाओं को उकेरा था। जो आज भी मौजूद है।
यदि आप उज्जैन जाना चाहते हैं तो सांदीपनि आश्रम अवश्य जाएं।
भर्तहरि गुफा
गढ़कालिका मंदिर के समीप स्थित यह गुफा राजा विक्रमादित्य के बड़े भाई राजा भर्तहरी को समर्पित है।
जो कि अपने समय के महान विद्वानों में गिने जाते थे।
शिप्रा नदी के किनारे स्थित इसी गुफा में राजा भर्तहरी ने राज-पाठ त्यागने के बाद साधना की थी।
और इसी गुफा के अंदर उनकी समाधि भी बनी हुई है। भर्तहरी गुफा उज्जैन का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है।
उज्जैन का जंतर-मंतर
इसका निर्माण सवाई राजा जयसिंह द्वारा 18वीं सदी में करवाया गया था।
जिसका प्रयोग खगोलीय घटनाओं का अध्ययन और खगोलीय पिंडों की दूरी और गति की गणना के लिए किया जाता था।
इस वेधशाला में प्राचीन काल में प्रयोग किए गए उपकरण आज भी संभाल कर रखे गए हैं।
उज्जैन कैसे पहुंचे
उज्जैन आप बस, ट्रेन हवाई जहाज और खुद के वाहन से भी जा सकते हैं।
अगर आप हवाई जहाज से उज्जैन जाना चाहते हैं तो महारानी अहिल्याबाई होलकर हवाई अड्डा जो की इंदौर में स्थित है।
यहाँ का सबसे नजदीक हवाई अड्डा है। जिसकी उज्जैन से दूरी मात्र 55 किलोमीटर है।
इसके अलावा उज्जैन में एक बहुत बड़ा सा रेलवे स्टेशन भी है।
अतः आप आसानी से ट्रेन के माध्यम से भी उज्जैन जा सकते हैं।
और उज्जैन सड़क मार्ग द्वारा भी देश के सभी भागों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
उज्जैन कब जाना चाहिए
उज्जैन आप साल के किसी भी महीने में जा सकते हैं।
क्योंकि यहाँ का मौसम पूरे साल एक जैसा ही रहता है और यहाँ के मंदिरों में समय-समय पर विशेष अनुष्ठान होते रहते हैं।
आपको अपने अनुष्ठान के अनुसार ही उज्जैन जाना चाहिए।
अतः आप साल में किसी भी महीने में या किसी भी धार्मिक अवसर पर उज्जैन जा सकते हैं।
उज्जैन में घूमने का खर्चा
उज्जैन में जाने के लिए आप प्रति व्यक्ति 80000 से 15000 रुपए तक का खर्चा हो सकता है।
यह खर्चा आपके आने-जाने, खाने-पीने और रुकने के साधनों पर निर्भर करेगा।
अतः यह खर्चा कम या ज्यादा भी हो सकता है।
FAQs
महाकाल की नगरी के नाम से प्रसिद्ध उज्जैन मध्य प्रदेश राज्य में पड़ता है।
शिप्रा नदी के किनारे स्थित उज्जैन हिंदू धर्म का पवित्र तीर्थ स्थल है। यहां हिंदुओं के कई प्राचीन मंदिर स्थित हैं।
उज्जैन अपनी कला, संस्कृति, धर्मस्थलीयों एवं पवित्र मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है।
शिप्रा नदी के किनारे बसा हुआ उज्जैन प्रति 12 वर्ष बाद कुंभ मेले के आयोजन का साक्षी बनता है।
महाकालेश्वर मंदिर, काल भैरव मंदिर, चिंतामन गणेश मंदिर,हरसिद्धि माता शक्तिपीठ मंदिर, गोपाल मंदिर और बड़ा गणेश मंदिर उज्जैन के प्रमुख मंदिर हैं।
महर्षि संदीपनी आश्रम जो उज्जैन में स्थित है पर भगवान कृष्ण ने शिक्षा प्राप्त की थी।
उज्जैन हिन्दू धर्म के उन पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है जहाँ कुम्भ मेला लगता है।
यहाँ प्रति 12 वर्ष बाद उज्जैन में कुंभ मेले का आयोजन होता है।
दाल-बाफला उज्जैन का प्रसिद्ध व्यंजन है।
महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है जो भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
उज्जैन एक धार्मिक स्थल है। जहां पर कई एक मंदिर बने हुए हैं। आप अपने अनुष्ठान के अनुसार उज्जैन साल में कभी भी जा सकते हैं।
लेकिन अगर आप भगवान शिव के भक्त हैं तो आप सावन महीने में या शिवरात्रि के दिन उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर में भगवान शिव के दर्शन के लिए जा सकते हैं।
इंदौर का अहिल्याबाई होलकर हवाई अड्डा उज्जैन का निकटतम हवाई अड्डा है।
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